बसंत न आवै

बसंत न आवै: बसंत को प्राणान्वित करने वाली बयार उन्हीं चंदनसुरभित मलयांचलों से आने वाली है, जिनमें आज असंख्य फणधरों की विषोल्वण ज्वालाएँ धधक रही हैं

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