एक नेताजी का आत्मचिंतन

एक नेताजी का आत्मचिंतन: वेमंच पर बैठे-बैठे एक टक जंगल को देखते रहे। जंगल में लगे ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर उनकी निगाह बरबस चली जाती

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