चंद हाथों में सिमटी समृद्धि

चंद हाथों में सिमटी समृद्धि: आजादी के साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यम से देश के विकास की जो आर्थिक-सामाजिक संतुलन की आधारशिला रखी गई, वह सात दशक तक पहुंचते-पहुंचते ही चरमरा गयी

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