मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको...

मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको...: शामें सर्द होने लगी हैं। जाने कब से अटका हुआ...जाने का नाम ही नहीं ले रहा था कमबख्त़ सितम्बर ये

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