सच्चे अर्थों में महामना थे मालवीयजी

सच्चे अर्थों में महामना थे मालवीयजी: मालवीय जी सनातन संस्कृति और भारतीय भाषा के पक्षधर थे। 1937-38 की एक घटना का खूब जिक्र होता है जब मालवीय जी को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दीक्षांत भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था

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