एक दीप धरम का

एक दीप धरम का: दीवाली की साँझ। अपने ही शहर की छटा देखते विमुग्ध होते जा रहे थे हम। देवताओं के राजा इंद्र की नगरी क्या इससे भी ज्यादा ऐश्वर्यमयी होती होगी

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