प्रकृति, धरती का आभार प्रकट करते उत्सव
प्रकृति, धरती का आभार प्रकट करते उत्सव: भारतवर्ष को एक देश नहीं, बल्कि महादेश कहकर सम्बोधित किया जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। रहन-सहन, खान-पान, बोली-भाषा, जाति-धर्म की जितनी विविधताएं भारत में देखने को मिलती हैं
टिप्पणियाँ