इंसानियत का गिद्धभोज

27 जुलाई 1994 को 33 साल की आयु में केविन कार्टर ने आत्महत्या कर ली। मौत के लिए उन्होंने उसी बागीचे को चुना जहां वो बचपन में खेलने जाया करते थे और भविष्य के सुनहरे सपने देखा करते थे। लेकिन जो अपने जीवन में उन्होंने देखा और दुनिया को दिखाया, वो बेहद क्रूूर, भयावह, इंसानियत को शर्मसार करने वाला था। रंगभेद के कारण अश्वेतों पर अत्याचार, बंदूक हाथ में लेकर क्रूरता से कत्ल करना, भुखमरी, अकाल, बीमारी, युद्ध की विभीषिका, ऐसी न जाने कितनी ही तस्वीरें कार्टर ने अपने कैमरे के जरिए दुनिया तक पहुंचाई। देश और दुनिया में इस वक्त जब मानवता की रक्षा के लिए दो फोटोग्राफरों की चर्चा हो रही है, तो ऐसे में केविन कार्टर अनायास याद आ जाते हैं।
सीरिया में युद्ध के माहौल में हर रोज मासूमों का खून बह रहा है। कहींगोलियां चल रही हैं, कहींबम विस्फोट हो रहे हैं। ऐसे ही आत्मघाती बम धमाके का शिकार बना अलेप्पो शहर से गुजर रहा बसों का काफिला, जिसमें कम से कम 126 लोगों की मौत हो गई। इन बसों में वे लोग सवार थे, जो खुद को, अपने बच्चों को युद्धक्षेत्र से बाहर ले जाना चाहते थे। धमाके के कारण बस के ही नहींइंसानों के चिथड़े भी उड़ रहे थे। ऐसे दृश्य की जीवंत तस्वीर ली जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुरंत ख्याति प्राप्त हो जाती है। अलेप्पो के वीडियो फोटोग्राफर अबू अलकादेर हबक के पास भी प्रसिद्धि पाने का एक अवसर था, लेकिन इसके साथ ही उनके सामने था खून से लथपथ एक बच्चा, जिसे मदद की जरूरत थी। हबक ने उस बच्चे की पीड़ा को कैमरे में कैद करने की जगह उसे बांहों में उठाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाने का फैसला किया। खुद की जान जोखिम में डालकर घायल बच्चे को गोद में उठाए दौड़ते हबक को एक अन्य फोटोग्राफर ने अपने कैमरे से कैद कर लिया। हबक के हौसले और इंसानियत के जज्बे की अब दुनिया भर में तारीफ हो रही है। 16 अप्रैल की इस घटना के बाद अब 20 अप्रैल को भारत में एक ऐसी ही घटना हुई। जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की कई घटनाएं इन दिनों हो रही हैं। ऐसी ही एक घटना के दौरान श्रीनगर में एसोसिएट प्रेस के फोटोग्राफर दार यासिन पत्थरबाजी के बीच फोटो लेने की कोशिश कर रहे थे। इसी बीच एक पत्थर 12वीं क्लास की एक छात्रा खुशबू के सिर पर आ लगा और उसका सिर फट गया और खून निकलने लगा। खुशबू वहीं बेहोश होकर गिर गई और उसकी बाकी सहेलियां मदद के लिए चिल्लाने लगीं। इस बीच यासिन ने खुशबू की हालत देखी और कैमरा वहीं छोडक़र वो खुशबू को हाथ में उठाकर अस्पताल की तरफ दौडऩे लगे। यासिन की ये तस्वीर एक और दूसरे कैमरामैन ने अपने कैमरे में कैद की जो इस वक्त दुनियाभर में वायरल हो रही है। यासिन ने कहा कि वो खुद दो बच्चियों के पिता है और वो या कोई भी और पिता किसी भी बच्चे को यूं असहाय नहीं देख सकता। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि मेरे इस प्रयास से खुशबू की जान बच गई और फिलहाल वो खतरे से बाहर है। more@https://goo.gl/Tg360X

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