बढ़ती विषमता से आहत लोकतंत्र

बढ़ती विषमता से आहत लोकतंत्र: वैसे तो भारतीय अर्थव्यवस्था में पहले भी गंभीर विषमताएं थीं पर पिछले 30 से 35 वर्ष में इनमें तेजी से वृद्धि हुई है

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