'लोग मेरी बात सुनेंगे, मेरे मरने के बाद' : डॉ. लोहिया

'लोग मेरी बात सुनेंगे, मेरे मरने के बाद' : डॉ. लोहिया: डॉ. लोहिया का जीवन अपरिग्रहपूर्ण रहा। उन्होंने धन एकत्रित करने की लालसा कभी नहीं पाली। यही कारण है कि जब उनकी मौत हुई तब उनका न कोई बैंक अकाउंट था और न ही कोई संपत्ति

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