खण्डहर में तबदील होता आदमी

खण्डहर में तबदील होता आदमी: भय से बढ़कर यदि कोई दयनीय स्थिति नहीं होती तो आतमहीनता से बढ़कर कोई दीनता नहीं हो सकती। यह उस भिखारी से भी गया बीता है जो भीख मांगकर भी स्वयं को सबसे बड़ा स्वाभिमानी मानता है

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