आंख बंद-कान बंद-सोच बंद

आंख बंद-कान बंद-सोच बंद: मजेदार बात यह कि भाजपा और पता नहीं शायद केन्द्र सरकार फिल्म में आए संवादों को अपने ऊपर ले रही हैं- ये किसी पर नहीं, बल्कि व्यवस्था पर तीखे संवाद होते हैं। विरोध सहना आसान नहीं है

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

युवक बंदूकों का त्याग करें : महबूबा

सिख दंगों पर गृह मंत्री से मिलेंगे आप विधायक

मप्र में किसानों का पानी के लिए आमरण-अनशन