निष्कासित रोहिंग्या जाएं तो कहां?

निष्कासित रोहिंग्या जाएं तो कहां?: यहां तक कि म्यांमार में सैनिक शासन आने के बाद भी इनके पृथक अस्तित्व को नहीं नकारा गया। अस्थायी स्क्रूटिनी कार्ड के आधार पर रोहिंग्या मुसलमानों ने 1948 से लेकर 2010 तक चुनावों में मतदान किया था

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