जनता ही टंगेगी उल्टा

जनता ही टंगेगी उल्टा: महाभारत में द्रौपदी ने चीरहरण के दौरान मन ही मन कृष्ण की वंदना करते हुए कहा था, 'हे नाथ, हे रमानाथ, हे व्रजनाथ, हे आर्तिनाशन जनार्दन! मैं कौरवों के समुद्र में डूब रही हूं

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