अनुचित की आजादी

अनुचित की आजादी: सरकार क्या अखबार क्या टीवी के खबरी चैनल क्या, सब इंतजार किया करते हैं किसी अनहोनी को घटने की। फिर कुछ दिन तक उसी बात का शोर मगर बेहद असंवेदनशील ढंग से। लगता ही नहीं किसी को दूसरों का दर्द समझना आता है

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